इंफोसिस को-फाउंडर गोपालकृष्णन समेत 18 लोगों पर SC/ST केस, जानिए पूरा विवाद और आरोपों की वजह

इंफोसिस को-फाउंडर गोपालकृष्णन समेत 18 लोगों पर SC/ST केस: दोस्तों क्रिस गोपालकृष्णन भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक हैं और वे इंफोसिस के को-फाउंडर भी हैं। वे 2007 से 2011 तक इंफोसिस के सीईओ और एमडी के पद पर कार्यरत रहे हैं।दोस्तों  इसके बाद उन्होंने 2011 से 2014 तक वाइस चेयरमैन के रूप में कंपनी का नेतृत्व किया था। उनके नेतृत्व में कंपनी ने न केवल प्रौद्योगिकी क्षेत्र में ऊंचाइयों को छुआ बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।दोस्तों उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया है।

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हाल ही में क्रिस गोपालकृष्णन समेत भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) के पूर्व निदेशक बलराम और अन्य 16 लोगों के खिलाफ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह मामला बेंगलुरु के सदाशिव नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता दुर्गाप्पा जो आदिवासी बोवी समुदाय से हैं उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें जातिगत रूप से अपमानित किया गया है और धमकाया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें 2014 में एक झूठे हनी ट्रैप में फंसाकर नौकरी से निकाल दिया गया था। इस मामले में अन्य आरोपियों में गोविंदन रंगराजन, श्रीधर वारियर, संध्या विश्वेश्वरैया, हरि केवीएस, दासप्पा, बलराम पी, हेमलता मिश्रा, चट्टोपाध्याय के, प्रदीप डी सावकर और मनोहरन जैसे लोग शामिल हैं।

इंफोसिस को-फाउंडर गोपालकृष्णन समेत 18 लोगों पर SC/ST केस, जानिए पूरा विवाद और आरोपों की वजह
इंफोसिस को-फाउंडर गोपालकृष्णन समेत 18 लोगों पर SC/ST केस

क्रिस गोपालकृष्णन का परिचय

दोस्तों बता दे क्रिस गोपालकृष्णन का जन्म भारत में हुआ था और उन्होंने अपनी शिक्षा आईआईटी मद्रास से पूरी की है। वहां से उन्होंने फिजिक्स और कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की उसके बाद उन्हें भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी (INAI) का फेलो और इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियरों के संस्थान (IETE) का मानद फेलो भी बनाया गया है।

इंफोसिस में योगदान

क्रिस गोपालकृष्णन ने 1981 में नारायण मूर्ति एन आर नारायण मूर्ति, नंदन नीलेकणी और अन्य सह-संस्थापकों के साथ मिलकर इंफोसिस की स्थापना की। कंपनी ने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया और दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई। क्रिस गोपालकृष्णन के नेतृत्व में इंफोसिस ने कई नई तकनीकों को अपनाया और वैश्विक आईटी सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी रणनीतियों और प्रबंधन कौशल ने कंपनी को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद की।

विवाद और मामला दर्ज

दुर्गाप्पा ने अपनी शिकायत में दावा किया कि उन्हें भारतीय विज्ञान संस्थान में सेंटर फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में कार्यरत होने के दौरान जातिगत आधार पर अपमानित किया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें नौकरी से गलत तरीके से निकाल दिया गया था। अदालत के निर्देश पर यह मामला दर्ज किया गया है। आईआईएससी के फैकल्टी या बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्यों की ओर से इस मामले पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

इंफोसिस को-फाउंडर गोपालकृष्णन समेत 18 लोगों पर SC/ST केस, जानिए पूरा विवाद और आरोपों की वजह
इंफोसिस को-फाउंडर गोपालकृष्णन समेत 18 लोगों पर SC/ST केस

 

अन्य आरोपी

इस मामले में क्रिस गोपालकृष्णन के अलावा कई अन्य जाने-माने नाम शामिल हैं। इनमें गोविंदन रंगराजन, श्रीधर वारियर, संध्या विश्वेश्वरैया, हरि केवीएस, दासप्पा, बलराम पी, हेमलता मिश्रा, चट्टोपाध्याय के, प्रदीप डी सावकर और मनोहरन जैसे लोग शामिल हैं। यह सभी भारतीय विज्ञान संस्थान के विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे हैं।

विवाद के प्रभाव

इस विवाद ने भारतीय विज्ञान संस्थान जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की छवि को भी प्रभावित किया है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज होना न केवल एक गंभीर मुद्दा है बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि कार्यस्थल पर जातिगत भेदभाव के मामले अब भी सामने आ रहे हैं।https://www.onmanorama.com/news/india/2025/01/28/kris-gopalakrishnan-infosys-booked.html

निष्कर्ष

क्रिस गोपालकृष्णन जैसे दिग्गज उद्योगपति का नाम इस मामले में आने से कई सवाल खड़े होते हैं। यह मामला भारतीय विज्ञान संस्थान और उद्योग जगत दोनों के लिए चिंताजनक है। जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए संस्थानों को अपनी नीतियों में और अधिक पारदर्शिता लानी होगी और एक समावेशी कार्य वातावरण प्रदान करना होगा। इस मामले का निष्कर्ष जो भी हो, यह निश्चित रूप से कार्यस्थल पर समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।https://ashok79.com/mahakunbh-news-news-live-live-28-january-pryagraj/

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