महाकुंभ में आध्यात्म की राह पकड़ने वाली डिजा शर्मा की कहानी: बता दे प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले की चर्चा पूरी दुनिया भर में है। हर तरफ सोशल मीडिया पर महाकुंभ से जुड़े वीडियो और खबरें लगातार वायरल हो रही हैं। यहां पहुंचे कई लोग अपनी अनोखी पहचान बना चुके हैं। जैसे आईआईटी बाबा अभय सिंह, सुंदर साध्वी हर्षा रिछारिया और माला बेचने वाली मोनालिसा यह काफी वायरल हुये हैं। इसी बीच एक और नाम तेजी से सुर्खियों में है डिजा शर्मा।
एयर होस्टेस से आध्यात्म की ओर सफर
दोस्तों बता दे डिजा शर्मा पहले एक एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट में एयर होस्टेस के रूप में काम किया करती थीं। लेकिन उनकी जिंदगी में छह महीने पहले बड़ा बदलाव आया जब उनकी मां का निधन हो गया था। इस घटना ने डिजा को आध्यात्मिक जीवन की ओर खींच लिया है। डिजा शर्मा ने अपनी नौकरी छोड़ दी और जीवन के गहरे अर्थ की तलाश में महाकुंभ का रुख किया है। डिजा शर्मा ने एक इंटरव्यू में बताया कि मां के निधन के बाद उन्हें एहसास हुआ कि जीवन में पैसा कमाने से ज्यादा जरूरी परिवार और आत्मिक शांति है। इसी सोच के साथ उन्होंने आध्यात्म की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया है। डिजा शर्मा के अनुसार उनके पिता ने उनके इस फैसले का समर्थन किया है।
साध्वी नहीं बनने का फैसला
डिजा शर्मा ने स्पष्ट किया है कि उन्हें अभी साध्वी न कहा जाए। डिजा शर्मा कहा है मैं अभी साध्वी नहीं बनी हूं और मेरी उम्र अभी 29 साल है। मुझे नहीं लगता कि मुझे अभी साध्वी बनने की जरूरत है। लेकिन डिजा शर्मा का मानना है कि आध्यात्म की राह पर चलते हुए भी एक साधारण जीवन जिया जा सकता है।
हर्षा रिछारिया से तुलना पर प्रतिक्रिया
महाकुंभ में सुंदर साध्वी के रूप में फेमस हुईं हर्षा रिछारिया से तुलना पर डिजा शर्मा ने कहा की मैं ना तो हर्षा रिछारिया की बहन हूं और न ही बनना चाहती हूं। वह अभिनेत्री और इंफ्लुएंसर हैं और उनकी अपनी पहचान है। हर्षा रिछारिया निरंजनी अखाड़े से जुड़ी हैं और महाकुंभ में उनके वीडियो और रथ यात्रा को लेकर काफी विवाद भी हुआ था।
गेटअप को लेकर क्या कहा डिजा शर्मा ने?
डिजा शर्मा ने बताया की गेटअप भी लोगों के बीच चर्चा का विषय है। वह रुद्राक्ष की मालाएं पहनती हैं जो उन्होंने विशेष पूजा करवाने के बाद धारण की हैं। उन्होंने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत पसंद है और वह इसी रूप में सहज महसूस करती हैं।
आईआईटी बाबा के बारे में डिजा शर्मा की राय
डिजा शर्मा ने महाकुंभ चर्चा में आए आईआईटी बाबा अभय सिंह को लेकर भी अपनी राय साझा की है। उन्होंने कहा है हर किसी की जिंदगी में कोई न कोई घटना होती है जो उसे बदल देती है। मेरे जीवन में भी छह महीने पहले ऐसी घटना हुई जिसने मुझे आध्यात्मिक यात्रा पर चलने के लिए प्रेरित किया।
आध्यात्म के महत्व पर डिजा शर्मा के विचार
डिजा शर्मा का मानना है कि आज के समय में लोग सिर्फ पैसा कमाने और भौतिक सुख-सुविधाओं के पीछे भाग रहे हैं। लेकिन जीवन का असली सुख आत्मिक शांति में है। उन्होंने कहा कि मां के निधन के बाद उन्होंने महसूस किया कि जब आपके अपने साथ नहीं होंगे तो कमाई का कोई अर्थ नहीं रह जाता।https://navpradesh.com/she-left-her-job-with-a-salary-of-lakhs-and-reached-mahakumbh-why-does-an-airhostess-want-to-become-a-sadhvi/
महाकुंभ और आध्यात्मिकता की ओर बढ़ते कदम
महाकुंभ में डिजा शर्मा का आना यह दिखाता है कि आध्यात्म सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं है। युवाओं में भी अब जीवन के गहरे अर्थ को समझने और आत्मिक शांति पाने की चाह बढ़ रही है। डिजा का यह सफर कई लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है जो जीवन के असली मायने तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। महाकुंभ में साधु-संतों के बीच डिजा शर्मा जैसी युवा महिला का आना एक नई सोच और बदलते समाज का प्रतीक है। उनका यह सफर हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि जीवन सिर्फ सफलता और पैसे तक सीमित नहीं है बल्कि आत्मिक शांति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।https://ashok79.com/mahakunbh-news-news-live-live-28-january-pryagraj/