प्रयागराज महाकुंभ में ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनाए जाने पर, संत समाज का विरोध और धर्म परंपराओं की गरिमा पर उठते सवाल

प्रयागराज महाकुंभ में ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनाए जाने पर: प्रयागराज महाकुंभ में फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाए जाने पर संत समाज में भारी विवाद छिड़ गया है। कई संतों ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे सनातन धर्म की परंपराओं के खिलाफ बताया गया है। उनका मानना है कि महामंडलेश्वर बनने के लिए कठोर तपस्या त्याग और उच्च नैतिक चरित्र की आवश्यकता होती है।

संतों की आपत्तियां

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महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद गिरि ने कहा कि इस पद पर बैठने वाला व्यक्ति समाज का मार्गदर्शन करता है। ऐसे में उसका चरित्र और ज्ञान उच्च स्तर का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को केवल प्रसिद्धि या प्रचार के आधार पर महामंडलेश्वर का पद नहीं दिया जा सकता है। रामकृष्णानंद गिरि ने किन्नर अखाड़े के इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की।

प्रयागराज महाकुंभ में ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनाए जाने पर, संत समाज का विरोध और धर्म परंपराओं की गरिमा पर उठते सवाल

महिलाओं के लिए विशेष चेतावनी

शांभवी पीठ के स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि महिलाओं के लिए साध्वी या संत बनने का मार्ग अत्यंत कठिन होता है। उन्हें त्याग तप और साधना के मार्ग पर चलना पड़ता है। उन्होंने ममता कुलकर्णी को सलाह दी कि वह इस जाल में न फंसे और अपनी प्रतिष्ठा को बचाए रखें।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की प्रतिक्रिया

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को केवल बाहरी प्रभाव में आकर संत या महामंडलेश्वर नहीं बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह स्वयं इतने वर्षों की साधना के बाद भी महामंडलेश्वर नहीं बन पाए हैं।

हिमांगी सखी की आपत्ति

ट्रांसजेंडर कथावाचक जगतगुरु हिमांगी सखी ने भी किन्नर अखाड़े के इस निर्णय पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ममता कुलकर्णी का अतीत समाज के सामने है। अचानक महाकुंभ में आकर उन्हें महामंडलेश्वर का पद देना सही नहीं है। उन्होंने इस मामले की जांच की मांग की।

बाबा रामदेव का विचार

योग गुरु बाबा रामदेव ने इस विषय पर कहा कि एक दिन में कोई व्यक्ति संत नहीं बनता है। साधु बनने के लिए वर्षों की तपस्या करनी पड़ती है तब जा कर साधु बनते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें साधुता पाने में 50 वर्षों का समय लगा है। उन ने कहा कि आजकल किसी भी व्यक्ति को महामंडलेश्वर बना देना एक खतरनाक प्रथा बन गई है जो की धर्म की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है।

प्रयागराज महाकुंभ में ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनाए जाने पर, संत समाज का विरोध और धर्म परंपराओं की गरिमा पर उठते सवाल

 

 

समाज की प्रतिक्रिया

इस विवाद ने महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं और संतों के बीच चर्चा का विषय बना दिया है। कई लोगों का मानना है कि महामंडलेश्वर जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए कठोर साधना और त्याग आवश्यक हैं। बिना किसी उचित प्रक्रिया के यह पद देना संत समाज की परंपराओं का अपमान है।

किन्नर अखाड़े की सफाई

वही  किन्नर अखाड़े ने इस विवाद पर कहा है कि उन्होंने ममता कुलकर्णी को उनके आध्यात्मिक झुकाव और समाज सेवा के कारण महामंडलेश्वर बनाया है। उनका कहना है कि इस फैसले का उद्देश्य किन्नर समाज के प्रति समाज की धारणा को बदलना और महिलाओं के आध्यात्मिक योगदान को मान्यता देना है। हालांकि, संत समाज इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं है।https://www.patrika.com/lifestyle-news/mamta-kulkarni-mahamandaleshwar-in-kinnar-akhada-know-what-she-will-eat-wear-after-became-sanyasi-19352822

निष्कर्ष

यह विवाद यह दिखाता है कि धर्म और परंपराओं में पदों की गरिमा बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। संत समाज का मानना है कि महामंडलेश्वर जैसे उच्च पद पर केवल वही व्यक्ति बैठ सकता है जिसने तप, त्याग और साधना का मार्ग अपनाया हो। ऐसे मामलों में धर्म की गरिमा को बनाए रखने के लिए उचित प्रक्रिया और जांच का पालन किया जाना चाहिए। महाकुंभ जैसे पवित्र अवसर पर इस प्रकार का विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे सुलझाने के लिए संत समाज और किन्नर अखाड़े के बीच संवाद आवश्यक है। https://ashok79.com/pryagraj-mahakunbh-viral-sadhvi-dija-sharma/

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