बॉलीवुड में इन दिनों ओरिजिनल कहानियों का कितना अकाल है, इसका अंदाजा ढेरों की तादाद में बन रही रीमेक और सीक्वल फिल्मों से लगाया जा सकता है। वरुण धवन की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘बेबी जॉन’ भी अच्छी मौलिक कहानियों के इसी सूखे का नतीजा है, जो ब्लॉकबस्टर तमिल फिल्म ‘थेरी’ का रीमेक है। साल 2016 में आई एटली की ‘थेरी’ ने हिंदी पट्टी में थलपति विजय की साख मजबूत की थी। यह फिल्म यूट्यूब और दूसरे ओटीटी प्लैटफॉर्म पर हिंदी डबिंग के साथ मौजूद है। ऐसे में, करीब 10 साल बाद इस कहानी को क्रिसमस के मौके पर धूम धड़ाके से एटली की प्रोडक्शन कंपनी ने ही बॉलीवुड में उतारा है, पर तो कुछ तो नया होना चाहिए था।
अफसोस की बात है कि ‘बेबी जॉन’ ग्लर्स ट्रैफिकिंग के कमजोर सब-प्लॉट के अलावा ‘थेरी’ की सीन दर सीन नकल है। उस पर, पर्दे पर ना तो वरुण धवन में थलपति विजय वाला ‘स्पार्क’ दिखता है, ना ही इसके डायरेक्टर कालीस में मूल फिल्म को डायरेक्ट करने वाले अपने गुरु एटली वाली पकड़।
पुष्प राज V/S बेबी जॉन
हिंदी फिल्म ‘बेबी जॉन’ ऐसे समय में रिलीज हुई है, जब सिनेमाघरों में एक तेलुगु फिल्म ‘पुष्पा 2’ महीने के शुरू से गर्दा काटे हुए हैं। इतनी बड़ी हिट बनाने के लिए कितने लोग सिनेमा में आने चाहिए? इस सवाल के जवाब में इसे बनाने वाले बताते हैं कि फिल्म ‘पुष्पा 2’ के करीब दो करोड़ टिकट बिके हैं। ये एक रिकॉर्ड है। लेकिन, अभिनेता विजय जोसेफ की जिस तमिल फिल्म ‘थेरी’ पर वरुण धवन की ‘बेबी जॉन’ बनी है, उसके हिंदी डब संस्करण को यूट्यूब पर ही करीब 10 करोड़ के आसपास व्यूज मिल चुके हैं। इसके अलावा ये फिल्म टीवी चैनलों पर दर्जनों बार हिंदी में डब होकर प्रसारित हो चुकी है। तो पहली चुनौती इसे रिलीज करने वाले जियो स्टूडियोज के सामने ये है कि क्या जो लोग फिल्म ‘थेरी’ को हिंदी में देख चुके हैं, वे फिल्म ‘बेबी जॉन’ देखने सिनेमाघरों तक आएंगे? और, वह भी तब जबकि फिल्म के हीरो वरुण धवन की अपनी लोकप्रियता बीते कुछ साल से संकट में हैं। वह गोविंदा टाइप के एक्टर हैं, सिनेमा वह शाहरुख खान जैसा बनाने की कोशिश में धर लिए गए हैं। आइये जानते हैं बेबी जॉन की कहानी
‘बेबी जॉन‘ की कहानी
कहानी बेबी जॉन उर्फ सत्य वर्मा (वरुण धवन) की है, जो अपने अतीत से पीछा छुड़ाकर बेटी खुशी (जारा) के साथ एक आम जिंदगी बिता रहा है। केरल में बेकरी चलाने वाले बेबी जॉन की दुनिया उसकी बेटी के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन एक दिन गुंडों से बचकर भाग रही एक लड़की के कारण जब उसकी बेटी की जिंदगी खतरे में आती है, तो उसे अतीत के पुराने पन्ने पलटने ही पड़ते हैं। कहानी 6 साल पीछे मुंबई पहुंचती है, जहां डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस सत्य वर्मा अपनी ईमानदारी और बहादुरी के कारण जनता का सुपरहीरो होता है। इसी दौरान एक बच्ची के जघन्य रेप और मर्डर के केस में वह चाइल्ड ट्रैफिकिंग का धंधा चलाने वाले, पुलिस और नेताओं को अपनी जेब में रखने वाले दबंग नाना (जैकी श्रॉफ) से टकराता है। निडर सत्या, नाना के खौफ से डरे बिना उसके रेपिस्ट बेटे को सबक सिखाता है, लेकिन उसे इसका खामियाजा अपने प्यार और पत्नी मीरा (कीर्ति सुरेश) और मां (शीबा चड्ढा) को खोकर चुकाना पड़ता है। ऐसे में, छह साल से गुमनाम जिंदगी जी रहा सत्य वर्मा अपनी बेटी को बचाने के लिए किस हद तक जाता है? नाना के साम्राज्य से कैसे मुकाबला करता है? यह जानने के लिए करीब पौने तीन घंटे लंबी यह फिल्म देखनी होगी, जो काफी जगहों पर बचकानी लगती है।
वरुण धवन ने गंवा दिया अच्छा मौका
फिल्म के हीरो वरुण धवन से फिल्म ‘बेबी जॉन’ में सबसे ज्यादा उम्मीदें रही हैं। उनका किरदार भी अच्छा है। लेकिन, देखा सुना सा है। एक्शन में वरुण के लिए ये फिल्म भविष्य का रास्ता खोलती है। अगर वह अपनी चिर परिचित मुस्कान छोड़कर गंभीर मुद्राओं वाली एक्शन फिल्म आगे करेंगे तो अच्छा कर सकते हैं, उनकी आयु वर्ग में हिंदी सिनेमा में ज्यादा अभिनेता वैसे भी हैं नहीं सो अगर वह अपनी लीक छोड़कर कुछ नया करने का जोखिम लेते रहे तो उनका करियर लंबा चलेगा। बस एक बात उनको सीखनी होगी और वह ये कि परदे पर किरदार बिकता है, अभिनेता को इसके लिए अपना अहं कुर्बान करना पहली शर्त है। हां, राजपाल यादव और शीबा चड्ढा ने फिल्म को अच्छा सपोर्ट दिया है। शीबा बड़े परदे की नई रीमा लागू बनने की पूरी तैयारी में हैं। राजपाल यादव ने क्रू कट वाले लुक में प्रभावित किया है। ओंकार दास मानिकपुरी का किरदार फिल्म का असली ट्विस्ट है और लापता बेटी के रोल में दिखीं सोनाली शर्मिष्ठा का अभिनय फिल्म के तमाम नामी सहायक कलाकारों पर भारी है।
‘बेबी जॉन’ मूवी रिव्यू
कमर्शियल मसाला फिल्मों के लिए अक्सर कहा जाता है कि ऐसी मूवीज में दिमाग ना लगाएं, लेकिन जब शहर का डीसीपी वर्दी पहने हुए किसी की बेबी शॉवर में लेडीज को जूस पिलाने लगे। जब चाहे शहर से गायब हो जाए, 6 साल बाद जब मन करे वापस वर्दी पहनकर ड्यूटी पर आ जाए तो चाहकर भी इग्नोर करना मुश्किल हो जाता है।कहानी में यूं तो एक्शन है, इमोशन है, रोमांस है, सस्पेंस है, नाच-गाना है और सोशल मैसेज जैसे सारे तड़के हैं, लेकिन एक्शन के अलावा बाकी चीजें प्रभावित नहीं करतीं। रेप और चाइल्ड ट्रैफिकिंग जैसे संवेदनशील विषय को भी जिस तरह फिल्माया गया है, वह एकाध सीन के अलावा मन को भिगो नहीं पाता।हां, 8 एक्शन डायरेक्टर्स के मेल से तैयार किए गया एक्शन दमदार है। हालांकि, कुछ सीन इतने वीभत्स और हिंसक भी हैं, जो क्रिसमस के त्योहारी मूड को खराब कर सकते हैं।
एक्टिंग की बात करें, तो कीर्ति सुरेश खूबसूरत लगती हैं। वामिका गब्बी प्रभावित करती हैं, पर उनके किरदार को और एक्सप्लोर किया जाना चाहिए था। चाइल्ड आर्टिस्ट जारा अपनी मासूमियत से दिल जीत लेती हैं। जबकि राजपाल यादव अपने मोनोलॉग और आखिरी सीन में तालियां बटोर ले जाते हैं। अब अगर हीरो वरुण धवन की फिल्म में ताली सहयोगी कलाकार राजपाल यादव के लिए बज रहे हैं, तो जाहिर है वरुण को अपनी एक्टिंग पर और मेहनत करने की जरूरत है। उनके सारे गुड लुक्स, स्वैग, स्टाइल क्लोज अप सीन नाकाफी लगते हैं। जैकी श्रॉफ भी कैरिकेचर वाले विलेन में टाइपकास्ट होते जा रहे हैं। एक्शन और सिनमेटोग्राफी फिल्म को मजबूत बनाते हैं।
जबकि, थमन निर्देशित गानों में भी यादगार वाली बात नहीं है। हालांकि, टाइटल ट्रैक और ‘नैन मटक्का’ गाना चर्चित हो चुका है। फिल्म में सलमान खान का कैमियो है और यकीनन यह जान डालने वाला है। सलमान अपने उसी भाईजान वाले अवतार में हैं, जिसके लिए वह जाने जाते हैं। थिएटर में तालियां जहां राजपाल के मोनोलॉग पर बजती हैं, वहीं सलमान के आने की भनक से ही सीटियां गूंजने लगती हैं। उन्होंने पर्दे पर एक्शन के साथ ही खूब मस्ती भी की है और यकीनन यह उनके फैंस को जरूर पसंद आएगा।