राजस्थान के कुलधरा गाँव की कहानी, जो रातों रात हो गया था खंडर

राजस्थान का हर कोना अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए काफी प्रसिद्ध है, और उन्हीं में से एक है राजस्थान के जैसलमेर से 14 कीलोमीटर दूर कुलधरा गाँव है जो पिछले 200 सालों से आज भी वीरान और सुनशान पड़ा हुआ है। यह गाँव भूतिया जगहों मे आता है। लेकिन कुलधरा गाँव की कहानी बड़ी रहस्यमय और रोमांचक है। कुलधरा गाँव की कहानी हमें सैकड़ों साल पीछे ले जाती है, किसी समय इस गाँव मे बड़ी खुशहाल और समृद्ध हुआ करता था। लेकिन अचानक एक दम से यह वीरान हो जाता है। और आज कुलधारा गाँव की ऐसी इस्थति है की यहाँ लोग जाने से भी डरते हैं। और तब से इस कुलधरा गाँव मे दोवरा किसी ने बसावट नहीं की है। आइये आपके राजस्थान के कुलधरा गाँव की कहानी के बारे मे बताते हैं। की यह आज भी क्यू वीरान है और लोग क्यू डरते हैं।

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राजस्थान के कुलधरा गाँव की कहानी, जो रातों रात हो गया था खंडर

 

कुलधरा का इतिहास

सबसे पहले बात करेंगे कुलधरा गाँव के इतिहास की आइये समझते हैं। ऐसा माना जाता है की इस कुलधरा गाँव की स्थापना लगभग 13वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों ने सरस्वती नदी के किनारे इस गाँव को बसाया था। सूत्रों की माने तो पाली के एक ब्राह्मण कधान ने सबसे पहले इस जगह पर अपना घर बनाया था और साथ मे ही एक तलाव भी खोदा था जिसका नाम उसने उधनसर रखा था। यह पालीवाल ब्राह्मण अपनी बुद्धिमानी, आर्थिक समृद्धि और जल प्रबंधन के लिए प्रसिद्ध थे। वे बहुत ही कुशल किसान और व्यापारी थे। इस क्षेत्र में रेगिस्तान के होते हुए भी उन्होंने कुशल जल प्रबंधन के जरिए खेती को संभव बनाया था। कुलधरा और इसके अगल बगल के 84 गाँव पालीवाल ब्राह्मणों के अधीन थे। ये गाँव आपस में जुड़े हुए थे और इनकी सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था बहुत मजबूत थी।

रहस्यमय वीरानी का कारण

ऐसा कहा जाता है कि कुलधारा के वीरान होने के पीछे एक बहुत दुखद और भयानक कहानी छिपी हुई है। यह कहानी जुड़ी हुई है उस समय के जैसलमेर राज्य के दीवान सालम सिंह से। यह अपनी क्रूरता और लालच के लिए जाना जाता था। जिससे सभी लोग परेशान थे ऐसा कहा जाता है की इसको कुलधरा गाँव के ग्रामप्रधान की बेटी पसंद आ गई थी और उससे विवाह करना चाहता था। उसने गाँव बालों को धमकी दे दी की अगर इसपर किसी ने विरोध करने की कोशिश की या फिर रास्ते मे आया तो वह और कर वसूली करने लगेगा। यह सुनकर पालीवाल ब्राह्मण बहुत चिंतित हो गए। इसको देखते हुये ग्रामप्रधान और पालीवाल ब्राह्मणों ने आपस में विचार-विमर्श किया और यह निर्णय लिया कि वे अपनी आन, मान, सम्मान और स्वतंत्रता के लिए रातों रात यह गाँव को छोड़ देंगे। जैसे ही साम हुई उसी समय सभी पालीवाल ब्राह्मण गाँव से चले गये। और उन्होंने कोई निशान या सबूत भी नहीं छोड़ आज तक उन लोगों का पता नहीं चल पाया की वे कौन से जगह जा कर बसे हैं। ऐसा माना जाता है की वे इस गाँव को वरदान दे कर गये की यह गाँव अब कभी दोवरा नहीं बसेगा। और इसी कारण आज भी यह गाँव वीरान है यहाँ लोग जाने से डरते हैं।

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गाँव छोड़ने की रात

एक रात मे बिना सबूत के पालीवाल ब्राह्मणों ने पूरे गाँव को खाली कर दिया। कहा जाता है कि 84 गाँवों के लोग रातोंरात अपने घरों को छोड़कर चले गए। उनके जाने के बाद, उन्होंने ऐसा श्राप दिया कि इस गाँव में कोई भी बस नहीं पाएगा।

यह भी कहा जाता है कि उन्होंने अपने घरों और कुंओं को इस प्रकार क्षतिग्रस्त कर दिया कि कोई भी उनका उपयोग न कर सके। इस तरह, कुलधरा और आसपास के सभी गाँव वीरान हो गए।

यह भी कहा जाता है की उनके चूल्हों पर खाना लगा हुया था और बहुत सारे काम ऐसे थे जो यह बताते हैं की यह लोग अचानक गायब हो गये या कोई चमत्कार हो गया इन लोगों का आज तक कोई पत्ता नहीं लगा है।

आज का कुलधरा

आज कुलधरा एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ आने वाले लोग यह देख सकते हैं की उस समय यहाँ क्या हुया था आज भी इसके वीरान घरों, टूटी दीवारों और सुनसान गलियों को देख सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस गाँव में रात के समय अजीब गरीब घटनाएँ होती हैं। जिससे यहाँ लोगों को रात मे जाने के लिये सरकार ने बैन लगा दिया है ऐसा माना जाता है की कुछ लोगों ने यहाँ भूत-प्रेत की मौजूदगी का अनुभव किया है। यह भी कहा जाता है की आज भी इस गाँव मे दिन मे अकेले घूमते हुये डर स लगता है। यहाँ आने वाले लोग कुलधरा गाँव की दिलचस्पी रहस्यमयी कहानियों को सुनते हुए गाँव की गलियों में घूमते हैं।

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पालीवाल ब्राह्मणों की विरासत

पालीवाल ब्राह्मणों की कुशलता और उनके योगदान को आज भी राजस्थान में याद किया जाता है। उनकी जल प्रबंधन प्रणाली, जिसे “बावड़ी” कहा जाता है, आज भी उनकी तकनीकी और सोच का उदाहरण है।

कुलधरा की कहानी केवल एक गाँव की कहानी नहीं है, बल्कि यह आत्मसम्मान, स्वतंत्रता और समाज की एकजुटता की भी मिसाल है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कैसे एक पूरा समाज अन्याय के खिलाफ खड़ा हो सकता है। और कुछ भी कर सकता है तभी तो बोलते हैं की ऐकता से बड़ा कोई बल नहीं है।

क्या है रहस्य?

कुलधरा के वीरान होने की कहानी के साथ कई रहस्य जुड़े हुए हैं। आज तक कोई नहीं जान पाया कि पालीवाल ब्राह्मण कहाँ गये। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि वे अलग-अलग जगहों पर बस गए, जबकि कुछ का मानना है कि वे रेगिस्तान में कहीं खो गए।

इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि कुलधारा गाँव में आज भी कुछ अदृश्य शक्तियाँ हैं। कुछ पर्यटकों ने यहाँ रात बिताने के दौरान अजीब घटनाओं का अनुभव किया है। हालांकि, इन कहानियों की सच्चाई को लेकर कोई प्रमाण नहीं है।

कुलधरा की यात्रा

अगर आप राजस्थान घूमने जाते हैं, तो कुलधारा गाँव जरूर जाएँ। यह जगह जैसलमेर से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ जाने के लिए आपको सुनसान रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है, जो खुद एक रोमांचक अनुभव है।

https://navbharattimes.indiatimes.com/travel/destinations/know-about-haunted-village-of-india-kuldhara-village-in-rajasthan/articleshow/91663805.cms

राजस्थान के कुलधरा गाँव की कहानी, जो रातों रात हो गया था खंडर

गाँव में प्रवेश करते ही आपको एक अजीब सी शांति का अनुभव होता है। यहाँ की टूटी-फूटी इमारतें, सूखे कुएँ और वीरान गलियाँ आपको सैकड़ों साल पुराने इतिहास में ले जाते हैं। https://ashok79.com/?p=803&preview=true

https://ashok79.com/daku-maharaj-review/

निष्कर्ष

कुलधरा गाँव केवल एक वीरान जगह नहीं है, बल्कि यह इतिहास, संस्कृति और रहस्य का संगम है। यह जगह हमें याद दिलाती है कि हमारे पूर्वज कितने बुद्धिमान और संगठित थे। कुलधरा की कहानी हमें यह सिखाती है कि आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए किसी भी तरह का त्याग किया जा सकता है। अगर आप इतिहास और रहस्यमयी कहानियों में रुचि रखते हैं, तो कुलधरा की यात्रा आपके लिए एक यादगार अनुभव साबित हो सकती है।

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