नागा साधु और अघोरी बाबा में क्या अंतर है : भारत की आध्यात्मिक परंपराओं में नागा साधु और अघोरी बाबा का एक विशेष स्थान है। दोनों ही साधना के मार्ग पर चलते हैं, लेकिन उनकी विधियां, जीवनशैली और उद्देश्य में बड़ा अंतर है। दोनों ही महादेव के परम भक्त हैं और मोक्ष प्राप्ति के लिय काफी कठोर तपशया करते हैं। आइए इस लेख मे नागा साधु और अघोरी मे अंतर समझते हैं विस्तार से।
नागा साधु कौन होते हैं?
नागा साधु हिंदू धर्म के सनातन परंपरा से जुड़े होते हैं। यह शिवजी के भक्त होते हैं नागा साधु की दीक्षा अखाड़े मे होती है यह शैव परंपरा का पालन करते हैं। नागा साधु ज्यादातर कुंभ मेले और अन्य धार्मिक अवसरों पर देखे जाते हैं। यह वस्त्र धारण नहीं करते है निर्वस्त्र रहकर भगवान शिव का प्रतीक माने जाते हैं। दोस्तों नागा साधु कठोर अनुशासन का पालन करते हैं। उन्हें शस्त्रों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। नागा साधु बनने के लिए कठिन साधना और दीक्षा की प्रक्रिया से गुजरना होता है। यह प्रक्रिया सालों तक चलती है। यह नागा साधु विभिन्न अखाड़ों (जैसे जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा) से संबंधित होते हैं। नागा साधु शाकाहारी होते है।
अघोरी बाबा कौन होते हैं?
दोस्तों अघोरी बाबा शिव के रुद्र रूप “महाकाल” की पूजा करते हैं। उनकी साधना तंत्र विद्या और अद्वितीय प्रथाओं पर आधारित होती है। अघोरी जीवन और मृत्यु को एक समान मानते हैं। दोस्तों हम आपको बता दे अघोरी बाबा शमशान घाट पर साधना करते हैं क्योंकि यह स्थान उन्हें जीवन और मृत्यु के सत्य को समझने में मदद करता है। यह तंत्र साधना करते हैं। और भूत प्रेत विध्या के ज्ञानी माने जाते हैं। इनका खान-पान नागा साधुओं से भिन्न होता है। वे कई बार मानव खोपड़ी (कपाल) का उपयोग करते हैं और खाने में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करते। यह शिव को ही ब्रह्मांड का सबसे बड़ा सत्य मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। दोस्तों अघोरी मृत्यु को एक नई शुरुआत मानते हैं और इसे डरावनी चीज नहीं, बल्कि सत्य मानते हैं।https://ashok79.com/zomato-stock-fell-sharply/
नागा साधु और अघोरी मे अंतर
धार्मिक परंपरा: नागा साधु शैव परंपरा का पालन करते हैं। जबकि अघोरी तांत्रिक परंपरा से जुड़े होते हैं।
साधना का स्थान: नागा साधु धार्मिक स्थल या अखाड़े मे साधना करते हैं जबकि अघोरी बाबा शमशान घाट मे साधना करते हैं।
देवता: नागा साधु शिव जी विष्णु जी की पूजा करते हैं। जबकि अघोरी बाबा शिव के उग्र रूप काल भैरव की पूजा करते हैं।
वेशभूषा: नागा साधु बिना वस्त्र के या कम वस्त्र के रहते हैं। जबकि अघोरी काले कपड़े या विशिस्ट वेशभूषा मे रहते हैं।
जीवनशैली: नागा साधु कठोर तपश्या या योग करते हैं। जबकि अघोरी बाबा तंत्र और गूढ साधना करते हैं।
लक्ष्य: नागा बाबा का लक्ष्य मोझ प्राप्ति और धर्म प्रचार के लिये होता है लेकिन अघोरी बाबा का लक्ष्य जीवन और मरत्यु को खोजना होता है।
भोजन: नागा साधु शाकाहारी होते हैं। जबकि अघोरी बाबा किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण कर लेते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों नागा साधु और अघोरी बाबा दोनों ही भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। जहां नागा साधु धर्म, योग और तपस्या के माध्यम से आत्मज्ञान की खोज करते हैं, वहीं अघोरी बाबा तंत्र और गूढ़ साधना के जरिए जीवन और मृत्यु के रहस्यों को समझने का प्रयास करते हैं। दोनों ही साधना पथ अलग-अलग होते हुए भी भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
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