EPFO Pension: कर्मचारी पेंशन योजना (Employees’ Pension Scheme – EPS), 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन राशि में वृद्धि की मांग लंबे समय से कर्मचारी संघों और अन्य स्टेकहोल्डर्स द्वारा की जा रही है। यह मुद्दा न केवल पेंशनभोगियों के लिए बल्कि श्रमिक संघों और ट्रेड यूनियनों के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण बन गया है। हाल ही में, सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस विषय पर लोकसभा में सवाल उठाया जिसके जवाब में सरकार ने अपने रुख को स्पष्ट किया। आइए इस महत्वपूर्ण विषय पर विस्तार से चर्चा करें।
न्यूनतम पेंशन वृद्धि की मांग
कर्मचारी पेंशन योजना के तहत वर्तमान में न्यूनतम पेंशन राशि 1,000 रुपये प्रति माह निर्धारित है। यह राशि वर्ष 2014 में केंद्र सरकार द्वारा घोषित की गई थी। हालांकि महंगाई और जीवन-यापन की बढ़ती लागत को देखते हुए यह राशि पेंशनभोगियों के लिए अपर्याप्त मानी जाती है। स्टेकहोल्डर्स और ट्रेड यूनियनों ने लगातार सरकार से इस राशि को बढ़ाने की मांग की है। श्रमिक संगठनों का कहना है कि 1,000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन राशि से पेंशनभोगियों को अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी करना भी कठिन हो रहा है।
लोकसभा में उठे सवाल
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में लोकसभा में यह सवाल उठाया कि क्या EPS, 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन राशि बढ़ाने को लेकर सरकार के पास कोई प्रस्ताव लंबित है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार ने इस विषय पर मूल्यांकन किया है, विशेष रूप से श्रम, कपड़ा और कौशल विकास पर स्थायी समिति की 30वीं रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों के आधार पर।
सरकार का जवाब
इस सवाल के जवाब में, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि श्रम और रोजगार मंत्रालय को EPS के तहत न्यूनतम पेंशन राशि बढ़ाने के लिए अनुरोध मिले हैं। इन अनुरोधों में स्टेकहोल्डर्स और ट्रेड यूनियनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मंत्री ने यह भी बताया कि मंत्रालय ने इस मांग को लेकर वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा था। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली है। वित्त मंत्रालय द्वारा इस प्रस्ताव पर सहमति न देने के कारण न्यूनतम पेंशन राशि को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये प्रति माह करने की योजना को फिलहाल रोक दिया गया है।
श्रमिक संगठनों और ट्रेड यूनियनों की प्रतिक्रिया
सरकार के इस जवाब से श्रमिक संगठन और ट्रेड यूनियन संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार को पेंशनभोगियों के जीवन-यापन को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे को प्राथमिकता देनी चाहिए।
संगठनों का कहना है कि:
- महंगाई दर का प्रभाव: वर्तमान में 1,000 रुपये प्रति माह की राशि बढ़ती महंगाई के कारण अपर्याप्त है।
- जीवन-यापन की चुनौती: पेंशनभोगी इस राशि से अपनी बुनियादी जरूरतें जैसे भोजन, दवा, और आवास की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं।
- समानता की मांग: देश में अन्य सरकारी योजनाओं और पेंशन योजनाओं में मिलने वाली राशि की तुलना में EPS-95 के तहत दी जाने वाली राशि काफी कम है।
EPS-95 न्यूनतम पेंशन: वर्तमान स्थिति
EPS-95 के तहत न्यूनतम पेंशन राशि का निर्धारण करने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों और समितियों ने अपने सुझाव दिए हैं। वर्ष 2014 में घोषित 1,000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन राशि को बढ़ाने के लिए कई बार प्रयास किए गए। श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा, जिसमें इस राशि को दोगुना कर 2,000 रुपये प्रति माह करने की सिफारिश की गई थी। हालांकि, यह प्रस्ताव अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ है। इसके पीछे प्रमुख कारण बजटीय दबाव और वित्तीय संसाधनों की सीमाएं हैं।
स्थायी समिति की 30वीं रिपोर्ट की सिफारिशें
श्रम, कपड़ा और कौशल विकास पर स्थायी समिति की 30वीं रिपोर्ट में EPS-95 के तहत न्यूनतम पेंशन वृद्धि की सिफारिश की गई थी। रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया था कि:
- न्यूनतम पेंशन राशि को बढ़ाकर कम से कम 3,000 रुपये प्रति माह किया जाए।
- पेंशनभोगियों को स्वास्थ्य बीमा और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान किए जाएं।
- पेंशन योजना को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार अतिरिक्त योगदान दे।
भविष्य की संभावनाएं
न्यूनतम पेंशन राशि में वृद्धि को लेकर सरकार की ओर से अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि, श्रमिक संगठन और पेंशनभोगी लगातार इस मुद्दे पर अपनी मांग उठा रहे हैं। सरकार के समक्ष यह एक महत्वपूर्ण चुनौती है कि वह किस प्रकार वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन करते हुए पेंशनभोगियों की जरूरतों को पूरा कर सके। https://ndtv.in/utility-news/epfo-update-will-the-government-increase-the-minimum-pension-amount-under-the-employees-pension-scheme-know-details-7237932
निष्कर्ष
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS), 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन राशि में वृद्धि की मांग समय की आवश्यकता है। वर्तमान में दी जाने वाली 1,000 रुपये प्रति माह की राशि पेंशनभोगियों के लिए पर्याप्त नहीं है। श्रमिक संगठनों और स्टेकहोल्डर्स का मानना है कि सरकार को इस मुद्दे को प्राथमिकता देनी चाहिए और पेंशनभोगियों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए। सरकार की ओर से इस विषय पर सकारात्मक कदम उठाने की संभावना है, लेकिन इसके लिए सभी संबंधित पक्षों के बीच समन्वय और वित्तीय संसाधनों की पर्याप्तता सुनिश्चित करना आवश्यक है। जब तक यह मुद्दा सुलझ नहीं जाता, तब तक श्रमिक संगठन और पेंशनभोगी अपनी आवाज उठाते रहेंगे। https://ashok79.com/change-in-epfo-rules/