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अघोरी बाबा: कैसे बनते हैं और उनकी मृत्यु होने पर शव का क्या किया जाता है?
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अघोरी बाबा: कैसे बनते हैं और उनकी मृत्यु होने पर शव का क्या किया जाता है?

दोस्तों महाकुंभ मे अघोरी बाबा या नागा साधु दुनिया भर से आए लोगों को आकर्षण का केंद्र बने हुये हैं। तो आपके दिमाग मे तरह तरह के सबाल भी आते होंगे। हम आपको बता दे अघोरी बाबा भारतीय समाज के सबसे रहस्यमय और रोचक साधुओं में से एक हैं। अघोर पंथ भारतीय संत परंपरा का हिस्सा है, जो शिव भक्ति और तंत्र साधना पर आधारित है। अघोरियों का जीवन और उनकी साधना विधियां अक्सर सामान्य लोगों के लिए रहस्य और आकर्षण का केंद्र होती हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि अघोरी बाबा कैसे बनते हैं, उनकी साधना की विशेषताएं क्या होती हैं और उनकी मृत्यु के बाद क्या किया जाता है।

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अघोरी बाबा: कैसे बनते हैं और उनकी मृत्यु होने पर शव का क्या किया जाता है?

अघोरी बाबा बनने की प्रक्रिया

दोस्तों अघोरी बाबा बनने की प्रक्रिया सरल नहीं है। यह एक कठिन और घर परिवार रिस्तेदार आदि का त्यागमय मार्ग है जिसमें कई मानसिक और शारीरिक परीक्षाएं होती हैं। जो काफी संघर्ष भरी होती हैं। आइये इनके बारे मे विस्तार से जानते हैं।

  1. गुरु की शरण में जाना: दोस्तों अघोरी बाबा बनने की यात्रा गुरु के सान्निध्य से शुरू होती है। किसी अघोरी गुरु के बिना इस मार्ग पर चलना असंभव है। गुरु ही साधक को तंत्र विद्या, ध्यान, योग और अघोरी बाबा जीवन शैली की शिक्षा देते हैं।
  2. संन्यास ग्रहण करना: अघोरी बाबा बनने के लिए साधक को अपने भौतिक सुख, परिवार, और सामाजिक बंधनों को त्याग करना पड़ता है। यह त्याग उनकी साधना का आधार बनता है। और वे अपने जीवन को भगवान शिव को समर्पित कर देते हैं।
  3. श्मशान साधना: अघोरी साधक अपनी साधना श्मशान घाट में करते हैं। उनका मानना है कि श्मशान मृत्यु का प्रतीक है और यहां साधना करने से आत्मा को मृत्यु के डर से मुक्त किया जा सकता है। श्मशान में साधना करते हुए, वे शवों के साथ रहते हैं और कभी-कभी शव का उपयोग तंत्र साधना के लिए करते हैं।
  4. भौतिक सुखों का त्याग: अघोरी बाबा अपनी साधना के दौरान हर प्रकार के भौतिक सुखों का त्याग करते हैं। वे भोजन, वस्त्र, और आवास जैसी सुविधाओं पर निर्भर नहीं रहते। उनका मुख्य उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है।
  5. भस्म का प्रयोग: दोस्तों अघोरी बाबा अपने शरीर पर श्मशान की भस्म (राख) लगाते हैं। यह भस्म मृत्यु का प्रतीक मानी जाती है और अघोरी बाबा इसे अपने शरीर पर लगाकर यह दर्शाते हैं कि वे मृत्यु के भय से ऊपर उठ चुके हैं।
  6. मांस और मादक पदार्थों का उपयोग: अघोरी बाबा मांस, शराब और अन्य मादक पदार्थों का उपयोग करते हैं। यह साधारण व्यक्ति के लिए अजीब लग सकता है, लेकिन अघोरियों के लिए यह उनके साधना के नियमों का हिस्सा है। उनका मानना है कि इन चीजों का सेवन उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है।
  7. मानसिक और आध्यात्मिक अनुशासन: अघोरी बाबा साधकों को कठोर मानसिक और आध्यात्मिक अनुशासन का पालन करना होता है। वे ध्यान और योग के माध्यम से अपने मन और शरीर पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करते हैं।

अघोरी बाबा: कैसे बनते हैं और उनकी मृत्यु होने पर शव का क्या किया जाता है?

अघोरी बाबा साधना की मुख्य विशेषताएं

  1. भगवान शिव की आराधना: अघोरी बाबा भगवान शिव को आदर्श मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। शिव को “महाकाल” और “अघोरेश्वर” के रूप में पूजा जाता है।
  2. मृत्यु का सामना: अघोरी बाबा मृत्यु को जीवन का अंतिम सत्य मानते हैं और इसे अपनाने के लिए अपनी साधना करते हैं। वे श्मशान में साधना करके मृत्यु के डर को खत्म करते हैं।
  3. तंत्र साधना: अघोरी बाबा तंत्र विद्या में निपुण होते हैं। वे तंत्र मंत्र, ध्यान और योग के माध्यम से आत्मिक और आध्यात्मिक शक्तियों को जाग्रत करते हैं।
  4. समानता का दृष्टिकोण: अघोरी बाबा समाज में भेदभाव नहीं मानते। उनके लिए अमीर-गरीब, ऊंच-नीच सब एक समान होते हैं। वे मानवता की सेवा को अपना धर्म मानते हैं।

अघोरी बाबा की मृत्यु पर क्या किया जाता है?

अघोरी बाबा की मृत्यु उनके साधना पथ का अंतिम चरण मानी जाती है। उनकी मृत्यु के बाद जो प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं, वे सामान्य समाज से काफी अलग होती हैं।

  1. श्मशान में अंतिम संस्कार: अघोरी बाबा की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार श्मशान में ही किया जाता है। उनका शरीर उसी स्थान पर जलाया जाता है जहां उन्होंने साधना की होती है।
  2. भस्म का उपयोग: अघोरी बाबा की चिता की राख को उनके शिष्यों द्वारा एकत्र किया जाता है। इस राख का उपयोग साधना के दौरान किया जाता है।
  3. गुरु परंपरा का पालन: यदि अघोरी बाबा का कोई शिष्य होता है, तो वह उनके गुरु की साधना और शिक्षा को आगे बढ़ाता है। यह परंपरा अघोर पंथ की निरंतरता सुनिश्चित करती है।
  4. विशेष अनुष्ठान: उनकी मृत्यु पर विशेष अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। इन अनुष्ठानों में उनके प्रिय मंत्रों का जाप, हवन, और ध्यान शामिल होते हैं।
  5. आध्यात्मिक महत्व: अघोरी बाबा की मृत्यु को साधना का पूर्ण होना माना जाता है। उनके शिष्य और अनुयायी इसे दुख का नहीं, बल्कि उत्सव का क्षण मानते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि उनका गुरु अब शिव के सान्निध्य में है।

अघोरी बाबा: कैसे बनते हैं और उनकी मृत्यु होने पर शव का क्या किया जाता है?

समाज और अघोरी बाबा

अघोरी बाबा को समाज में अक्सर डर और रहस्य के साथ देखा जाता है। उनकी जीवनशैली और साधना पद्धति आम जनमानस से अलग होने के कारण लोग उनसे दूरी बनाते हैं। हालांकि, अघोरी बाबा का उद्देश्य समाज से अलग रहकर आत्मज्ञान प्राप्त करना और मानवता की सेवा करना होता है। वे यह संदेश देते हैं कि मृत्यु से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे जीवन का हिस्सा मानकर स्वीकार करना चाहिए। https://ashok79.com/?p=823&preview=true 

https://www.jagran.com/spiritual/religion-aghori-facts-about-aghori-life-in-hindi-23750894.html

निष्कर्ष

अघोरी बाबा का जीवन और साधना मानवता और अध्यात्म का अद्भुत मिश्रण है। उनका जीवन त्याग, तपस्या और शिव भक्ति का प्रतीक है। अघोरी बनने के लिए कठोर साधना और त्याग की आवश्यकता होती है। उनकी मृत्यु भी उनके साधना पथ का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे आध्यात्मिक रूप से देखा जाता है। अघोरी बाबा समाज को यह सिखाते हैं कि मृत्यु एक सत्य है और इसे अपनाकर ही जीवन के उच्चतम उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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