आईआईटीयन बाबा: प्रयागराज महाकुंभ 2025 में इस बार कई साधु-संतों की कहानियां चर्चाओं में हैं उन्ही मे से एक साधु है जिन्होंने सभी का ध्यान खींचा है और काफी तेजी से सुर्खियों मे आ गये हैं। वे हैं ‘आईआईटीयन बाबा’। जिनका असली नाम अभय सिंह है यह नाम सुनकर हर कोई चौंक रहा है। इसकी वजह है उनका अनोखा सफर जिसमें उन्होंने विज्ञान और तकनीक की ऊंचाइयों को छोड़कर परमात्मा की भक्ति को अपना लिया। आइए विस्तर से जानते हैं उनकी प्रेरक कहानी।
कौन हैं आईआईटीयन बाबा?
आईआईटीयन बाबा का असली नाम अभय सिंह है। वे हरियाणा के झज्जर जिले के सासरौली गांव के रहने वाले हैं। IITain बाबा उर्फ अभय सिंह ने अपनी पढ़ाई देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी बॉम्बे से पूरी की है। वहां उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है। पढ़ाई के बाद उन्होंने कई मल्टीनेशनल कंपनियों में काम किया और विदेश में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
विदेश में करियर और लाखों की नौकरी
IIT बाबा उर्फ अभय सिंह ने बताया कि वे 2019 में कनाडा गए जहां उन्होंने एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम किया। वहां उनका सालाना पैकेज 36 लाख रुपये था, यानी हर महीने वे करीब 3 लाख रुपये कमाते थे। लेकिन विदेश में उनकी जिंदगी उतनी सुखद नहीं थी, जितनी बाहर से दिखती थी।
क्यों छोड़ी लाखों की नौकरी?
कनाडा में रहते हुए अभय ने महसूस किया कि उनकी जिंदगी में सुकून नहीं है। उनका कहना है कि वहां की जिंदगी बेहद महंगी और अकेली थी। हर रोज की जिंदगी में मानसिक दबाव बढ़ता जा रहा था। IIT बाबा ने बताया “कनाडा में एक सेब की कीमत 200 रुपये थी। उधर खर्चे सैलरी के हिसाब से ज्यादा थे, और अंदर से मुझे खालीपन महसूस हो रहा था।” धीरे-धीरे ये खालीपन उन्हें अवसाद (डिप्रेशन) की ओर ले गया।
अध्यात्म की ओर कदम
अभय सिंह ने बताया कि डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए उन्होंने अध्यात्म का सहारा लिया। जब वे ध्यान और भक्ति की ओर बढ़े, तो उन्हें शांति और संतोष का अनुभव हुआ। इसी शांति की खोज में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और आध्यात्मिक मार्ग को अपना लिया।
पर्सनल लाइफ की कहानी
अभय ने अपनी निजी जिंदगी के बारे में भी खुलकर बताया। वे भारत में अपनी गर्लफ्रेंड के साथ चार साल तक रिलेशनशिप में थे। हालांकि, उन्होंने कहा कि अपने माता-पिता के बीच के झगड़े देखकर उनका शादी से विश्वास उठ गया। इसलिए उन्होंने विवाह करने का विचार ही छोड़ दिया।
परिवार की प्रतिक्रिया
अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह, जो पेशे से वकील हैं, उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके बेटे ने पिछले छह महीने से उनका नंबर ब्लॉक कर रखा है। उन्हें नहीं पता था कि उनका बेटा कहां है। कर्ण सिंह जो की उनके ने बताया कि अभय कनाडा में अपनी बहन के साथ रहते थे। लेकिन अब वे अपने बेटे की इस नई यात्रा के बारे में जानकर चकित और गर्वित हैं।
समाज के लिए संदेश
आईआईटीयन बाबा उर्फ अभय सिंह की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो जीवन की भागदौड़ में अपनी मानसिक शांति को खो देते हैं। उनका मानना है कि पैसा और ऐशो-आराम जीवन में सबकुछ नहीं है। अगर अंदर से आप संतुष्ट नहीं हैं, तो बाहर की सफलता भी फीकी लगती है।
निष्कर्ष
अभय सिंह उर्फ आईआईटीयन बाबा का सफर यह सिखाता है कि जिंदगी में सच्ची खुशी पैसे से नहीं, बल्कि आत्मिक शांति से मिलती है। उन्होंने अपनी लाखों की नौकरी और हाई-प्रोफाइल जीवन छोड़कर जो निर्णय लिया, वह साहस और आत्म-जागरूकता का प्रतीक है। उनकी यह कहानी महाकुंभ 2025 में एक नई रोशनी की तरह उभरी है, जो लोगों को अपने भीतर झांकने और सच्चे आनंद की खोज करने की प्रेरणा देती है।https://ashok79.com/who-is-iit-baba/
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