किन्नर पैसे मांग कर परेशान करें तो क्या करें? शांति और सम्मान से निपटने के आसान तरीके

किन्नर पैसे मांग कर परेशान करें तो क्या करें? हम सबने कभी न कभी यह स्थिति जरूर फेस की होगी। आप शांति से बस स्टॉप पर खड़े हैं या फिर ट्रैफिक सिग्नल पर अपनी गाड़ी में बैठे हैं। अचानक, एक किन्नर आपके पास आता है, पैसे मांगने लगता है, और कई बार जोर-जोर से या आपको छूकर परेशान करने लगता है। डर लगना, असहज महसूस करना, या गुस्सा आना बिल्कुल स्वाभाविक है। लेकिन घबराइए नहीं! मैं आपके साथ हूँ और आज इस ब्लॉग में हम बात करेंगे कि अगर किन्नर पैसे मांगकर परेशान करें तो आपको क्या करना चाहिए, और क्या नहीं करना चाहिए। ये तरीके शांत, सुरक्षित और इंसानियत से भरपूर होंगे।

सबसे पहले: समझने की कोशिश करें, न कि डरने की

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मैं जानता हूँ कि उस पल में डर या झुंझलाहट हो सकती है। लेकिन चलिए, पहले थोड़ा पीछे जाकर देखते हैं कि आखिर ये हालात क्यों बनते हैं।

  1. सामाजिक बहिष्कार की पीड़ा:किन्नर समुदाय (जिन्हें हिजड़ा, ट्रांसजेंडर भी कहा जाता है) भारतीय समाज में सदियों से गहरे बहिष्कार और भेदभाव का शिकार रहा है। उन्हें शिक्षा, नौकरी, घर किराए पर लेने जैसी बुनियादी चीजों में भी भारी दिक्कतें आती हैं।
  2. जीविका का सीमित साधन:इस भेदभाव की वजह से उनके पास आजीविका कमाने के बहुत ही सीमित विकल्प बचते हैं। पारंपरिक रूप से कई किन्नर समुदाय ‘बधाई’ देकर या त्योहारों पर शुभकामनाएं देकर पैसे मांगने पर निर्भर हो गए हैं। यह उनकी मर्जी से ज्यादा, मजबूरी बन गई है।
  3. भय और मिथकों का फायदा:दुर्भाग्य से, कुछ लोग (सभी नहीं!) इस धारणा का फायदा उठाते हैं कि समाज किन्नरों से डरता है या उन्हें ‘शाप देने’ की ताकत मानता है। यही कारण है कि कभी-कभी जबरदस्ती या आक्रामक तरीके अपनाए जाते हैं।

मतलब यह नहीं कि आपको परेशानी झेलनी पड़े! समझना जरूरी है ताकि हम गुस्से या डर में गलत प्रतिक्रिया न दें। लेकिन आपका शांति से रहने का और सुरक्षित महसूस करने का हक भी है।

तो फिर, अगर कोई किन्नर पैसे मांगते हुए परेशान करे, तो आप क्या करें?

याद रखें, लक्ष्य है शांति से स्थिति को हैंडल करना, न कि झगड़ा करना या किसी को नीचा दिखाना।

  1. शांत रहें, गहरी सांस लें:सबसे पहला और सबसे जरूरी कदम। डर या गुस्सा आपकी सोचने-समझने की शक्ति को कम कर देता है। एक गहरी सांस लें। अपने आप से कहें, “शांत रहो।”
  2. आँखें मिलाएं (अगर सहज लगे) और सिर हिलाकर कहें:अगर आप सहज हैं, तो उनकी आँखों में देखें। यह आत्मविश्वास दिखाता है। दृढ़ता से लेकिन विनम्रता के साथ सिर हिलाकर नाकहें। जैसे:
    • “नहीं भैया/दीदी, आज नहीं देंगे।” (स्पष्ट और सीधा)
    • “माफ़ कीजिए, नहीं देंगे।” (विनम्र)
    • “आज बिल्कुल नहीं।” (दृढ़)
  3. अगर वे जोर देते हैं, तो बात न करें, अनदेखा करना शुरू करें:कई बार सिर्फ ‘ना’ कहने के बाद भी वे जोर दे सकते हैं या बोल सकते हैं। अब आपका काम है स्टोनवॉलिंग यानी पत्थर की दीवार बन जाना। उनकी तरफ देखना भी बंद कर दें। फोन निकालकर देखें (बस दिखावे के लिए भी), कहीं और देखें, खिड़की से बाहर देखें। बिल्कुल भी प्रतिक्रिया न दें। यह सबसे कारगर तरीकों में से एक है। उनका उद्देश्य है आपका ध्यान खींचना और प्रतिक्रिया पाना। अगर आप बिल्कुल भी प्रतिक्रिया नहीं देंगे, तो अधिकतर मामलों में वे आगे बढ़ जाएंगे।
  4. दूरी बनाए रखें:अगर आप पैदल हैं, तो थोड़ा सा साइड हो जाएं या आगे बढ़ जाएं। अगर गाड़ी में हैं, तो खिड़की बंद कर लें (अगर सुरक्षित लगे) या सीट पर पीछे की ओर हट जाएं। अपना पर्स या बैग सामने या सुरक्षित जगह पर रखें।
  5. जोर से या गाली-गलौज न करें:गुस्से में आकर चिल्लाना, गाली देना या धक्का देना स्थिति को और बिगाड़ सकता है। यह आपको भी खतरे में डाल सकता है और उनके साथ हो रहे अन्याय को और बढ़ा सकता है। शांति और अनदेखा करना ही सबसे बड़ी ताकत है।
  6. अगर बहुत ज्यादा परेशान करें या छूने की कोशिश करें, तो स्पष्ट आवाज में कहें:“कृपया मुझे छुएं नहीं।” या “आपसे अनुरोध है, पीछे हट जाएं।” अपनी सीमाएं स्पष्ट करें।
  7. दूसरों की मदद लें (जरूरत पड़ने पर):अगर आपको लगता है कि स्थिति बिगड़ रही है, आप असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, या वे शारीरिक रूप से आक्रामक हो रहे हैं, तो मदद मांगने में न झिझकें।
    • अगर बस स्टॉप या रेलवे स्टेशन पर हैं, तो पास के सुरक्षाकर्मी या पुलिस वाले को आवाज लगाएं।
    • अगर दुकान के सामने हैं, तो दुकानदार से कहें।
    • अगर ट्रैफिक में हैं और सच में डर लग रहा है, तो गाड़ी का हॉर्न बजाएं या खिड़की खोलकर पास के लोगों को आवाज लगाएं। “भैया/दीदी, मदद करो!” कह सकते हैं।
    • पुलिस हेल्पलाइन (100) पर कॉल करें:यह अंतिम विकल्प है, अगर आपको लगे कि खतरा है।
  8. छोटी रकम देना – हाँ या ना? यह आपका निर्णय है:
    • न देना:अगर आप मानते हैं कि जबरदस्ती से दिया पैसा इस समस्या को बढ़ावा देता है, या फिर आप खुद उस वक्त देना नहीं चाहते, तो न देना पूरी तरह से ठीक है। आपकी मर्जी।
    • देना:अगर आप सहज हैं और उनकी मुश्किलों को समझते हुए थोड़ा सहयोग करना चाहते हैं, तो ठीक है। लेकिन ध्यान रखें: दें तो केवल तभी जब वे शांति से मांग रहे हों, जबरदस्ती या परेशानी न कर रहे हों। इससे गलत संदेश नहीं जाएगा कि परेशान करने पर पैसा मिलता है। आप चाहें तो पहले से ही कुछ छोटे नोट अलग रख सकते हैं ताकि पर्स न निकालना पड़े।

क्या बिल्कुल नहीं करना चाहिए? (वे गलतियाँ जो स्थिति बिगाड़ सकती हैं)

  1. उनका मजाक उड़ाना या हँसी उड़ाना:यह बेहद अपमानजनक और खतरनाक हो सकता है। उनकी पहचान का मजाक बनाना कभी ठीक नहीं है।
  2. डराने या धमकाने की कोशिश करना:“पुलिस बुला लूंगा!” जैसी बातें अक्सर काम नहीं करतीं और गुस्सा बढ़ा सकती हैं। सिवाय इसके सच में खतरा हो और आप पुलिस को कॉल कर रहे हों।
  3. शारीरिक हिंसा का प्रयोग करना:धक्का देना, मारना किसी भी सूरत में ठीक नहीं है। यह आपको कानूनी मुसीबत में भी डाल सकता है।
  4. झूठे वादे करना:“बाद में दूंगा” कहकर टालना अक्सर काम नहीं करता और वे और ज्यादा परेशान कर सकते हैं। सीधे ‘ना’ कहना बेहतर है।
  5. घबराकर भागना (अनावश्यक रूप से):ज्यादातर मामलों में भागने की जरूरत नहीं होती। शांत रहकर अनदेखा करना ज्यादा असरदार है। भागना तभी ठीक है अगर आपको सच में जान का खतरा महसूस हो रहा हो और सुरक्षित निकलने का रास्ता दिखे।

लंबे समय के लिए: समस्या का समाधान क्या हो सकता है?

मैं यह नहीं कह रहा कि आपको अकेले ही सब कुछ ठीक करना है। लेकिन थोड़ी सोच इस पर भी डालिए:

  1. शिक्षा और रोजगार:अगर किन्नर समुदाय को बेहतर शिक्षा और नौकरियों के समान अवसर मिलें, तो उन्हें जबरदस्ती पैसे मांगने की नौबत ही न आए। सरकारी योजनाएँ (जैसे कौशल विकास कार्यक्रम) और प्राइवेट सेक्टर में समावेशी नीतियाँ बहुत जरूरी हैं। https://www.dnpeducation.com/latest-news/how-to-complain-about-misbehavior-of-kinnars-hijras-who-are-kinnars/12066/amp/
  2. सामाजिक स्वीकृति:हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम किन्नरों को समाज का बराबर का हिस्सा मानें। उनके साथ सम्मान से पेश आएँ, उनकी बात सुनें। डर और मिथकों को तोड़ने की जरूरत है।
  3. कानूनी अधिकारों की जागरूकता:ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 उन्हें भेदभाव के खिलाफ कानूनी सुरक्षा देता है। उन्हें भी इसके बारे में पता होना चाहिए और समाज को भी यह समझना चाहिए कि उनके अधिकार हैं।
  4. एनजीओ और सपोर्ट ग्रुप्स को सपोर्ट करें:ऐसे संगठन जो किन्नर समुदाय को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और कानूनी सहायता देते हैं, उन्हें दान देना या वॉलंटियर करना एक बेहतर तरीका है उनकी मदद करने का, बजाय जबरदस्ती मांगे जाने पर देना।

निष्कर्ष: शांति, सम्मान और स्पष्टता ही कुंजी है

दोस्तों, मैं जानता हूँ कि ऐसे मौकों पर असहज होना स्वाभाविक है। लेकिन याद रखिए:

  • शांत रहें।यह आपको स्थिति पर काबू देता है।
  • दृढ़ता से नाकहें।स्पष्ट रहें।
  • अनदेखा करना सीखें।यह सबसे ज्यादा काम करता है।
  • किसी का अपमान न करें।सम्मान बरकरार रखें, चाहे आप पैसे दें या न दें।
  • अपनी सुरक्षा सबसे पहले।अगर सच में खतरा लगे, तो मदद लेने में संकोच न करें।
  • बड़ी तस्वीर देखें:असली समाधान शिक्षा, रोजगार और सामाजिक स्वीकृति में है।

अगर हम सब मिलकर थोड़ी और समझदारी, थोड़ा और सम्मान दिखाएं, और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयास करें, तो ये परेशान करने वाले हालात खुद-ब-खुद कम हो जाएंगे। आपका सुरक्षित और शांतिपूर्ण रहना ही सबसे जरूरी है। अगली बार जब ऐसी स्थिति आए, तो गहरी सांस लें, ये आसान तरीके याद करें, और शांति से हैंडल करें। https://ashok79.com/govinda-sunita-talaq-afwah-2025/

क्या आपको कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा? आपने कैसे निपटा? नीचे कमेंट में हम सबके साथ अपना अनुभव जरूर शेयर करें – इससे और लोग भी सीख सकेंगे। सुरक्षित रहें, सम्मान से रहें!

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